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एक उत्स्फूर्त मुलाखत!

- ऋषिराज शेलार (नौरंगजेबाची बखर)

Nitin Phanse by Nitin Phanse
April 26, 2024
in भाष्य
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(चहापन्हा नौरंगजेबांच्या इंटरव्ह्यूची जोरकस तयारी चालू. सगळा ‘मेरीच लाल’ किला गजबजलेला. कुणी रोशनी इस्माईल नावाची खातून आपले चारदोन सहकारी घेऊन आलीय. त्यातली काहीजण कॅमेरा सेट करताय, काही लिहिलेल्या प्रश्नावळ्या पुन: पुन्हा वाचून काढताय. न जाणो यात ब्यादश्या सलामतच्या भावना दुखावल्या जायच्या नि दुसर्‍या दिवशी पेपरात स्वतःचे नौरंगवासी झाल्याचेच फोटो द्यावे लागायचे. एक मोठं आसन तीन जण ओढत आणतात. समोर टेबलवर चारदोन मिनरल वॉटरच्या शुध्द टपंजलीच्या बॉटल ठेवल्या जातात. न जाणो चुकून तिखट प्रश्न नजरचुकीने नौरंगजेबांवर धडकले तर? पूर्वतयारी नको? अमानतुल्ला शामेनी बैचेनीत फेर्‍या मारतोय. एक एक गोष्ट निरखून-पारखून घेतोय. पाच एक वर्षांत असले इंटरव्ह्यू करायचे म्हणजे उत्तरेच्या पेकिंगसमोर लाल डोळे दाखवण्याची गुस्ताखी करण्यासारखं अवघड आहे हे! तोच चहापन्हा नौरंगजेब येतात. माना झुकतात, मुजरे, कुर्निसात, दंडवत झडतात, पडतात.)
अमानतुल्ला : (घाईने पुढे होत खुर्ची झटकतो. ब्यादश्या नौरंगजेबांना सन्मानानं आसनापर्यंत आणतो. नौरंगजेब विराजतात. दोन पावलं रोशनी इस्माईलकडे सरकत दबक्या आवाजात विचारतो) और कित्ता रह गया हैं?
रोशनी : बस कुछ एक दोन सवाल चेक करने थे! और वो वाले सवाल का क्या करना है?
अमानतुल्ला : (चिडत) अरे चहापन्हा यहाँ सवाल-जवाब करने थोडीही आये है? वो तो इंटरव्यू देने आये है। आप उनसे इंटरव्यू मांग लेना, वो दे देंगे बात खतम। टाटा, बाय-बाय, वनक्कम।
रोशनी : वजीर साब हम सिर्फ फोटो खिंचने नहीं आये! हमे बाकायदा आपने बुलाया है! सवाल-जवाब करने के लिए! जिसे आप इंटरव्यू कह रहे हैं, वही!
अमानतुल्ला : इंटरव्यू मतलब सवाल-जवाब? (रोशनी मान हलवते.) तो फिर ये मैं कर लेता हूँ। क्या पता एखादा जानलेवा सवाल आपने पूछ लिया तो?
रोशनी : नहीं, वजीरजी!! चहापन्हाने इसबार खुदही इंटरव्यू देने की बात की थी। और उसी सिलसिले में मुझे बुलाया है।
अमानतुल्ला : (चहापन्हाकडे बघत) चहापन्हा लानत, आखिर आप ऐसे खतरनाक स्टंट क्यूँ करते हो? ऐसी बातों के लिए मैं हूँ ना?
नौरंगजेब : (डोक्यावरला जिरेटोप हातात घेऊन त्यावरील मोरपीसे बघत) वजीरजी, आप को तो पता ही हैं? बचपनसे हमें खतरों से खेलने का शौक है। और इस बार लगता है, के आखरी बार में इंटरव्यू दे ही देता हूँ।
अमानतुल्ला : (खिन्नपणे) तो ठीक है। जैसी झोलमगीर की मर्जी। (रोशनी इस्माईलकडे पहात) सिर्फ आप जब ये इंटरव्यू दिखायेंगे तो नीचे एक डिस्क्लेमर चला देना! ‘ये स्टंट कोई राजनेता अकेलेमें या घरमें ना करे। इसे वेलट्रेन पाळीव मीडियाकर्मीके निगरानी में ही करे। इससे आपका पॉलिटिकल लाइफ खत्म हो सकता है। सावधान रहे। सुरक्षित रहे।’
रोशनी : (मान हलवत) जी! जरूर।
नौरंगजेब : अरे बस भी करो! ये इंटरव्यू शुरू करो। फिर मुझे हेळ्ळॉन म्हस्के से जो बातचीत करनी है, उस सवालों का रिवीजन भी करना है। वहाँ वजीरजी आप भी प्रॉम्प्टिंग के लिए बैठ नहीं सकते।
अमानतुल्ला : (हर्षाने) ये तो मैं भूल ही गया था। के आज मैं प्रॉम्प्टिंग कर सकता हूँ। तो देखो मैं इस कोने में बैठ लेता हूँ। (एक स्टूल ओढून त्यावर बसतो. तोच शेजारच्या स्टूलवर एक नोकर अल्पोपहारासाठी फळं आणून ठेवतो.)
नौरंगजेब : (रोशनी इस्माईलकडे बघत) मोहतरमा, अगर आपकी तैय्यारीयां हो गई हो तो शुरू कर दो!
रोशनी : (कागदं पालटत) वैसे तो सब तैयारीया हो गई है। लेकिन कुछ सवाल और ले पाते हम…?
अमानतुल्ला : (मध्येच) रोशनीजी आप भूल गयी है। ये इंटरव्यूमें कोई सवाल रह भी जाये तो कोई बात नहीं। लेकिन वैâमरे का फोकस हिलना नहीं चाहिए। क्या?
रोशनी : तो हम इंटरव्यू शुरू करते हैं। (कॅमेरामनला खुणावते.) चहापन्हा, हम चलते है, दसवे सवाल की ओर। क्या कभी आपको बैंक में जाना पड़ा है? क्या आप आरटीजीएस, एनईएफटी, डेबिट, क्रेडिट और बॉन्ड्स जैसी बैंकिंग संज्ञाओं को जानते हो?
नौरंगजेब : (धीरगंभीर मुद्रा करत) वैसे तो मुझे जवानी में वो गाना बहोत पसंद था। ‘वो भोले सजना….।’ और उन दिनों में मैंने बहोत सारे बॉण्ड की फिल्में देखी थी। उसे देखकर ही मैंने प्रेरणा ली। के जीवन में मैं भी कभी उस जैसा देशभक्त बन पाऊँ। मतलब हर दो-ढाई मिनिट में नई गाड़ी। नई घड़ी, नया देश। नया सूट, नये बूट। सबकुछ इम्पोर्टेड। और लक्सरियस। शानदार। और देखो मैं वैसा देशभक्त बन सका। उसका श्रेय सिर्फ बॉण्ड को जाता है।
रोशनी : चहापन्हा, आप गलत समझ रहें हैं। मैं अलग बॉन्ड की बात कर रही हूँ। (टेलिप्रोम्प्टरवर दिसणार्‍या उत्तराकडे बोट दाखवत) मैं उस बॉन्ड के बारे में पूंछ रही हूँ। आजकल आप के दुश्मन याने पूरा विपक्ष आपको जिन बॉन्ड पर घेर रहा हैं।
नौरंगजेब : (टेलिप्रोम्प्टरकडे न बघता) मैं पूरी सच्चाई के साथ कहता हूँ। ये जो मेरे दुश्मन बन कर घूम रहें हैं ना, वो बॉण्ड जैसे राष्ट्रभक्त पर उँगली उठाते है ना, वो एक दिन जरूर पछतायेंगे। उन्हें शायद उसके राष्ट्रकार्य के बारे में पता नहीं होगा। क्योंकि पिछली सरकारों ने उन जैसे अनगिनत वीरों का इतिहास दबाया हैं। इसीलिए मेरी सरकार उस राष्ट्रभक्त की जीवनी की कुछ क्लिप्स, वीडिओज़ मेरे जवान भाईओंसे साझा करेंगी…!
रोशनी : (घाईने कॅमेरामनला कट करण्यास सुचवते. तिकडे कोपर्‍यात स्टुलावर बसलेला अमानतुल्ला घाम पुसू लागतो.) आळमगीर, आपने इस माध्यम से बहुत ही संगीन आळ लगाये है विपक्ष पर। हम चलते है, अगले सवाल की ओर। क्या विपक्ष कहता हैं, आपके मुगल काल में महँगाई बढ़ गयी है। क्या ये सच है?
नौरंगजेब : ये सब खोखली बातें है। अभी परसो ही में जब बगीचे में घूम रहा था। तब मुझे मैरे बचपन के दोस्त अब्दानीजी मिले, वो किसी बाजार में गये थे, तो उन्हें वहाँ कोई पोर्ट बहुतही सस्ते में मिला। उसके पहले उन्होंने सस्ते में ही कोई एअरपोर्ट भी खरीदा है। और तो आप जानती है, हमारी वजह से कोयले की खदान, रेल, भेल, गेल ऐसा सबकुछ सस्ता हो गया है। अभी कल ही खुद विपक्षवाले ही मुझपर आरोप लगा रहे थे। के मैंने जान सस्ती कर दी। और बताओ? कहाँ है महंगाई? (सर्वजण उभे राहत टाळ्या वाजवतात.)
रोशनी : व्वा! चहापन्हा!! आप छा गए। अब अगला सवाल। विपक्ष ये भी आरोप लगाता हैं कि आपके मुगलकाल में युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे है।
नौरंगजेब : ये तो सरासर झूठ है। अब देखो वजीर शामेनी का बेटा पहले कुछ नही करता था। हमसे मिलने के बाद वो संघर्ष करने लगा। आज देखो वो कहीं सेक्रेटरी बन बैठा है। (मुलाच्या कवतीकाने अमानतुल्ला शहारतो.) मैं तो कहता हूँ। हर एक युवा ने संघर्ष करने की ठान लेनी चाहिए। (पुन:श्च टाळ्या पडतात.)
रोशनी : ओर अगला सवाल। क्या आज भी आप करप्शन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है?
नौरंगजेब : जी बिल्कुल। ये देखो जब से हमने करप्शन के खिलाफ जंग छेडी है, तबसे अब तक पूरा विपक्ष हमने करप्शन फ्री कर दिया है! मैं आज तुमसे ये पूँछता हूँ, क्या विपक्ष में अब दागी नेता बचा है? नही ना? (तोच आदर्शराव सुंता करण्यासाठी आत पळत जातात.)
रोशनी : (कंटाळून आंबे चोखणार्‍या अमानतुल्लाकडे बघत) क्या में आखरी सवाल आप से पूंछू? क्या आप केला चूस के खाते हो या छीलकर? वैसे तो मैं आपको फिरसे आम के बारे में ही पूँछना चाहती थी…।
नौरंगजेब : (हसत हसत) मत पूँछना ये सवाल। पिछले पाँच सालों में जहाँ भी जाता हूँ, वहाँ नन्हें से बच्चे मुझे मिलकर इसी बात का हट करते है, की मैं उन्हें आम चूसकर दिखाऊँ। अब रोजाना का ये टास्क मुझे करना पड़ता है, उस वजह से मेरी आदत ऐसी बन गयी के मैंने पूरे मुल्क को ही चूस लिया है। ना गुठलियां बची ना…
रोशनी : (अडखळत) वो उत्तरी दिशा के पेकिंग के पिंगटराव के बारे में सवाल पूँछना था…
(नौरंगजेबाचे डोळे फिरतात, हातपाय थरथरायला लागतात…)
अमानतुल्ला : (घाईने उठत) पैक अप! चलो! इंटरव्यू बहोत अच्छा हुआ है। रोशनी इस्माईलजी।

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