• Contact
  • Privacy Policy
    • TERMS OF SERVICE
  • उचला कुंचला
  • जुने अंक
    • १४ जुलै २०१३
    • १८ ऑगस्ट २०१३
  • बाळासाहेबांच्या कुंचल्यातून
  • मार्मिक परिवार
  • मार्मिक विषयी
  • मार्मिकची वाटचाल
  • मुख्य पृष्ठ
  • वर्गणीदार व्हा
मार्मिक
No Result
View All Result
No Result
View All Result
मार्मिक
No Result
View All Result

किसीको अतक कळ लाओ…

- ऋषिराज शेलार (नौरंगजेबाची बखर)

Nitin Phanse by Nitin Phanse
February 1, 2024
in भाष्य
0

(अँटी अपोझिशन ब्युरोचं मुख्यालय. एसीपी प्र. डुमणे गेटबाहेरून चालत तिथे येतात. मागोमाग दोन्ही हातात गोमूत्राचे दोन कॅन घेतलेला माया व रद्दीचे बंडल खांद्यावर घेतलेला भाभीजित हे येतात. एसीपी प्र. डुमणे बडबडत येतोय. तर माया नि भाभीजित मान हलवत येतायत.)

एसीपी प्र. डुमणे : माया, देखा! फुलचंद डबीरजी कैसे बोल रहे थे। जैसे आज तक हमने कुछ किया ही ना हो!
माया : (वजनदार कॅन सांभाळत) जी! सर!!! आखिर उनका काम ही है बोलना। और वैसे भी पूरा सुभा उन्हीं को संभालना हैं। तो…!
भाभीजित : (घसरत असलेले बंडल हाताने सावरत) अरे यार, ओ पूरा सूबा संभाले या अधाअधुरा, हमें क्या है? सुबह ग्यारह बजे ऑफिस आना और पांच बजे घर जाना, यही तो हमारी ड्यूटी हैं? ओ हम पूरी लगन से तो करते ही है ना? क्यूँ एसीपी सर?
एसीपी : हाँ हम हमारी ड्यूटी तो अच्छी तरह से निभाते है। लेकिन आजकल बीबीआई, वायडी जैसा काम कर रहे हैं, उसे देखकर उन्हें लगता है कि हम भी वैसा ही काम करें।
माया : हां कर तो रहे हैं ना? हमने तो ब्यूरो का नाम भी अच्छा खासा रख दिया है, अँटी अपोझिशन ब्युरो।
एसीपी : माया, सिर्फ इतनेसे बात नहीं बनेगी। हमे कुछ ठोस करके दिखाना पड़ेगा। वायडी और बीबीआई से बड़ा कुछ!
भाभीजित : (दारासमोर आल्यावर ढकल्यानंतर देखील दार उघडत नाही हे बघून) ये क्या? दार तो अंदरसे बंद दिख रहा है।
एसीपी : (शंकेने) कुछ समजे भाभीजित? इसका मतलब अंदर कोई है। जरूर ओ अंदर कुछ कर रहा होगा!
(माया हातातले कॅन दारापुढे खाली ठेवतो, भाभीजित रद्दीचे बंडल उतरवतो, एसीपी दाराला ठाकून ठोकून जरा अंदाज घेतो.)
भाभीजित : ये जो अंदर घुस के बैठा है, वो तो दार भी नहीं खुल रहा।
एसीपी : (मायाकडे बघत) क्या लगता है माया?
माया : (गात उत्तर देतो.) दिल नय्यो लगदा..!
एसीपी : बस करो माया! यहाँ तुम्हें गाना गँवाने के लिए नहीं बुलाया। ये दार खुल नहीं रहा, इसके बारे में मैं पूँछ रहा हूँ।
भाभीजित : इसे तो तोडना पडेगा, क्योंकि हम बाहर है, और शायद कोई मुजरिम अंदर…
एसीपी : माया, तोड़ दो दरवाजा!
(माया दोन पावलं मागं येतो आणि जोरात दाराला धडक देतो. वाळवीने खाल्लेलं दार मातीच्या ढिगार्‍यात बदलतं.)
एसीपी : हर डिपार्टमेंट को दीमक ने खोकला कर के रख दिया हैं। अब लगता है बारी हमारे डिपार्टमेंट की है! चलो, अंदर चल कर के देखते हैं, कौन है अंदर? (माया आणि भाभीजित बंदुका काढून सावधपणे आत येतात, एक एक कोपरा, जागा न्याहाळू लागतात. तोच मायाला दही ओतलेला खिचड्याचा कटोरा टेबलवर दिसतो. तो एसीपी प्र. डुमणेंना बोटाने खुणावतो.)
एसीपी : (धावतयेत) ओ माय गॉड! मतलब यहाँ अंदर कोई छुपके जरूर बैठा हैं। (पाठोपाठ भाभीजित धावत येतो नि टेबलच्या पलीकडून जातो, तिथे खाली बसलेलं कुणी त्याला दिसतं. तो कॉलर पकडून त्याला वर काढतो. त्याचा चेहरा बघत एसीपी) अरे, धिरकीटजी आप? भाभीजित उनकी कॉलर छोड़ दो।
भाभीजित : (अजीजीने) सॉरी सर, हमें पता नही था के यहाँ आप हैं! नहीं तो यहाँ हम आते ही नहीं। भला आपकी प्राइवसी से बढ़कर इस मुल्क में कुछ हैं क्या?
माया : लेकिन धिरकीटजी, इस वक्त आप घरमें रहते हो। तो ब्यूरो में क्या कर रहे हो?
धिरकीटजी : मैं फुळचंद डबीळ के घळ से चिधा इधल आया हूँ। उन्होंने मुझे बोला के में इधळ आऊँ, औळ आपको इन्वेस्थीगेशन में मदत करू।
एसीपी : लेकिन आप छुप के क्या कर रहें थे?
धिरकीट : मुझे लगा अपोजीशन के लोग आये है, इसलिये मैं थुप गया था!
माया : तो आप घर बैठकर भी व्हिडिओ कॉल कर सकते थे? यहाँ आने की जरूरत नहीं पड़ती!
भाभीजित : क्या कुछ बोल रहे हो माया? व्हिडिओ कॉल वो अलग बात के लिए लगाते हैं। है ना धिरकीटजी?
एसीपी : चुप करो तुम दोनों। धिरकीटजी, ऐ आपका कटोरा लीजिए (दही घातलेला खिचड्याचा कटोरा पुन्हा देत) और उसके बाद हमें भी कुछ केस में मदत कीजिए! बाकी सारे डिपार्टमेंट बहोत सारा इन्वेस्टिगेशन और केस वगैरा कर चुके है, हम ही सबसे पीछे रह गए हैं!
धिरकीट : इथीलिए फूलचंदजीने मुझे भेजा हैं। उस टेबलपर कुछ कागज लखे हैं। (कोपर्‍यातल्या टेबलकडे बोट दाखवत) उन लोगों पर जल्दी इन्वेस्थिगेशन लगा दो, और उन्हें अतक कळ लो।
एसीपी : माया, भाभीजित देखो क्या है उन कागजात में।
(सायकल ऑफिसच्या भिंतीला उभी करत केडी येतो, पाठोपाठ उत्तरा नि रचिन येतात. तर डोक्यावर सरपण घेऊन सारिकाबाई, खांद्यावर गोवर्‍यांची गोणी घेतलेला डॉ. काळूंखे आत येतात.)
केडी : दमीवलं बाबा! आजकाल सायकल म्हाग झाली ना? मी म्हणतो एक एसयूव्हीच देयला पाहिजे आपल्या डिपार्टमेंटनं सगळ्या कर्मचार्‍यांना. बरोबर ना माया सर?
एसीपी : केडी, ये कोई वक्त हैं कामपर आने का? कितने बज रहे हैं? देखा घड़ी में?
केडी : घड़ी? मायला किसीने काल मार दिई। (मनगट बघत) पुलिस में कंप्लेंट देणे गया तो उसने बोला साहब न्हायला गेले, चाय पीने के बाद तो स्वतः लिहून घेईल.
एसीपी : ठीक है। अब कामपर लग जाओ। वो कागजात अच्छी तरह से देख लो। अगले हफ्ते तक दसबारा को तो हम अरेस्ट करके ही रहेंगे।
(डॉ. सारिकाबाई सरपण कोपर्‍यातल्या फॉरेन्सिक लॅबच्या कोपर्‍यात टाकतात. डॉ. काळूंखे गोवर्‍यांची गोणी तिथे उभी करतात. सारिकाबाई चूल पेटवू लागतात. डॉ. काळूंखे नासलेली शिळी रसायनं बेसिनमध्ये ओतून साफ करू लागतात.)
भाभीजित : (एक कागद समोर फडकावत) एसीपी सर ऐ कागज देखो! इससे हम इस पॉलिटिशियन को जरूर अरेस्ट कर सकते हैं।
एसीपी : व्वा। भाभीजित तूने तो कमाल कर दिया, सिर्फ दो मिनट में कागज खोज निकाले। चलो और खोजो। किनकिन लोगों को हम अरेस्ट कर सकते हैं वो….! मुझे सब पक्के एविडन्स चाहिए। ताकि कोई हमारे चंगुल से छूटना पाए। क्या?
माया : (एक कागद दाखवत) मुझें भी कुछ मिला हैं।
रचिन : (दूसरा कागद दाखवत) और मुझे भी।
(पाठोपाठ उत्तरा आणि केडी देखील कागद दाखवतात.)
धिरकीट : इतने कागज तो मैंने लाये ही नहीं थे। ये आपको कहाँ मिले।
एसीपी : (मायाकडे बघत) देखा माया, हमारे इन्वेस्टिगेशन का कमाल? खुद एविडन्स लानेवाले धिरकीटजी चौंक गए हैं। (हसतो) एक बार सब मिलकर नाम पढ़ो तो सही कौन लोग है वो करप्शन करने वाले?
माया : नाम है, काने, गंधे, काजन…
भाभीजित : चिचुके, वोटकर, पडसुल, देवळी…
धिरकीट : (घाईने उठत) अले वो अलग कागज हैं। तुम गलत पद लहे हो। वो सब ब्यादश्या नौरंगजेब को अपना ब्यादश्या मान रहे है।
केडी : सर लेकिन उनपर उठे करप्शन के सवाल? उसका क्या? उन्हें भी तो सजा…
धिरकीट : ये देखो ऐसा नहीं लहता कभी। उन्होंने कळप्शन किया था। लेकिन वो तब अपोजिशन में थे। अब वो गंगा से भी पाक हमाले पास आये है। औल अब ब्यादशा नौळंगजेबजी उन्हे जमुरियत के काम में लगा दिया है। तो वो साफ हो गए ना? औल फिर भी किसीको उन पल दाग दिखाई दे, तो इस मुल्क के खातिर उनपळ के दाग ब्यादश्या खुदपल लेंगे। वैसेभी किसीने कहाँ है ना? ‘दाग अच्छे होते हैं!’?
एसीपी : तो धिरकीटजी हम अरेस्ट किसे करे?
धिरकीट : वो बाजूमें कुछ फोटो रखे है, उनको!
उत्तरा : पर उनके खिलाफ कोई शिकायत, एविडन्स कुछ है क्या?
धिरकीट : शिकायत में लिख दूंगा, एविडेंस तुम खोजना।
एसीपी : लेकिन सर कोई तो कागद दीजिए…
धिरकीट : (कोरे कागद देत) ये लो। अब तुम छिदा उनके घळ पे रेड कल दो, औल उन्हें अरेस्ट करके लाओ।
एसीपी : (डॉ. काळूंखेला घाईने कोरे कागद दाखवत) ऐ देखा कालूंखे इनविजिबल इंक से इसपर कुछ लिखा हैं। कुछ तो गड़बड़ है। मुझे तो पक्का लगता है, अपोजीशन दुश्मन मुल्क से मिलकर कुछ पका रहा है। जल्दी इस कागज को चेक करो।
(डॉ. काळूंखे ते कागद जाड भिंगाने चेक करतो, तोवर सारिकाबाई ढणाढणा पेटलेल्या चुलीवर कढई ठेवून त्यात तेल ओततात.
डॉक्टर मागाहून ते कागद कुठल्याश्या द्रावणात बुडवतात. त्यावर सॉल्ट टाकतात. आणि वर घेऊन ते सारिकाबाईकडे देतात. त्या कागद गरम तेलात छान तळतात. नि वर ताटात काढतात.)
डॉ. काळूंखे : (एक कुरकुरीत कागद दाताखाली घेत) मस्त तळला मॅडम तुम्ही! चव छान झाली, फक्त थोडा चटकदार मसाला टाकायला हवा होता. (एसीपी प्र. डुमणेला एक कागद देत) बघ छान कुरकुरीत झालाय, घे.
एसीपी : (चिडत) ए क्या किया तूने? वो कागजात तूने तल दिए? अब हम अपोजीशन को कैसे अरेस्ट करेंगे?
धिरकीट : (चिडत, मोठ्याने बोलत) तुम सब गधे हो। अबतक मैं बहोत साले डिपाल्टमेंट में गया, लेकिन इतना टाइमपास किसीने नहीं किया। वो कोले कागज मैंने कंप्लेंट लिखने के लिए दिए थे बेवकूफ।
एसीपी : लेकिन सर एविडन्स नहीं है तो…?
धिरकीट : उसमें क्या है? मैं वायडी में गया उन्होंने गोमूत्ळ पीकर केस लिखवा दिया, नाल्कोटिक्स में गया उन्होंने बचा गांजा माळकर अरेस्ट कलवा दिए। औल इतना टैंशन नहीं लेना, वो सेटलमेंट कमीशन वाला काज़ी भी हमारा ही हैं। कोई कागज नहीं पूछता! जाओ अब किसीको अतक कळ लाओ।

Previous Post

गे पंतप्रधान आणि सिव्हिल युनियन!

Next Post

लीप वर्षाबाबत समज, काही कल्पित कथा

Next Post

लीप वर्षाबाबत समज, काही कल्पित कथा

  • Contact
  • Privacy Policy
  • उचला कुंचला
  • जुने अंक
  • बाळासाहेबांच्या कुंचल्यातून
  • मार्मिक परिवार
  • मार्मिक विषयी
  • मार्मिकची वाटचाल
  • मुख्य पृष्ठ
  • वर्गणीदार व्हा

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

No Result
View All Result
  • Contact
  • Privacy Policy
    • TERMS OF SERVICE
  • उचला कुंचला
  • जुने अंक
    • १४ जुलै २०१३
    • १८ ऑगस्ट २०१३
  • बाळासाहेबांच्या कुंचल्यातून
  • मार्मिक परिवार
  • मार्मिक विषयी
  • मार्मिकची वाटचाल
  • मुख्य पृष्ठ
  • वर्गणीदार व्हा

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.